जिद है तो जिद है ना

                                                           जिद है तो जिद है ना 

जो व्यक्ति जीत दर्ज करता है, या सफल होता है, वह अन्य व्यक्तियों से कुछ हटकर तो है। विजेता में कुछ तो खास बात है कि वह जीत गया। भीड से कुछ अलग हटकर करने की उसने ठानी, तभी वह जीत दर्ज करने में कामयाब हुआ।

‘जीत’ के लिए आवश्यक है जीतने की उत्कट इच्छा। वस्तुतः हर विजेता के मस्तिष्क में जीतने की अपरिमित लालसा व्याप्त रहती है।

जीवन में अगर जीतना चाहते हैं, तो जीत के लिए अदम्य लालसा पैदा करें। जीत के लिए उत्कट इच्छा, व्यक्ति में दृढ़ संकल्प पैदा करती है। यह दृढ़ संकल्प ही तो उसमें आत्मविश्वास की लौ जाग्रत करता है। आत्मविश्वास से ही व्यक्ति में मेहनत करने का ज़ज्बा जाग्रत होता है। हर जीत एवं हर सफलता हेतु सर्वभूत केन्द्रित मेहनत की आवश्यकता है।

ज़िद क्या है

ज़िद का अर्थ है–अपनी सारी शक्तियों एवं योग्यताओं को जीत हेतु संकल्पित करें। अपनी ज़िद की पूर्ति हेतु पुरुषार्थ करें। ज़िद का अर्थ बच्चों की ज़िद जैसा नहीं, बल्कि किसी ऊँचाई को छूने और किसी सफलता को अर्जित करने हेतु किया गया अदम्य या अटूट संकल्प है। ज़िद का अर्थ, अपनी इच्छा शक्ति को समेटकर, अपनी योग्यता शक्ति एवं काबिलियत से भी बढ़कर, पुरुषार्थ कर, किसी इच्छित सफलता को प्राप्त करने हेतु संकल्पित होना है। किसी भी सफलता हेतु, सर्वप्रथम आवश्यकता है संकल्प (Determination) करने की। यदि आपका संकल्प अटूट और अदम्य और, तो सफलता निश्चित ही मिलेगी।

अदम्य संकल्प के बल परें ही तो निहत्थे स्वतन्त्रता सेनानी, समूचे विश्व में पताका फहराने वाले ब्रिटिश साम्राज्य से, हमारे देश को स्वतन्त्र कराने में सफल हुए। यह ज़िद ही तो थी, महात्मा गाँधी की, पण्डित जवाहरलाल नेहरू की, सरदार पटेल की, भगत सिंह की, चन्द्रशेखर आजाद की एवं स्वतन्त्रता के अन्य महान् शूरवीरों की, जिससे अंग्रेजों को भारत छोड़ना ही पड़ा। संकल्प शक्ति के बल पर ही, असम्भव-सा दिखाई देने वाला कार्य, सम्भव हो सका। मात्र लंगोटी, अंगोछे में रहने वाले गाँधी, अपनी संकल्प शक्ति के बल पर, अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने में सफल हो पाए। ज़िद की पूर्ति हेतु अगर सही रूप एवं सही दिशा में प्रयास किया जाए, पुरुषार्थ किया जाए, तो सफलता मिलती ही है। 

जिद तो करो

जिद तो करो - Motivational Stories Hindi

जिद तो करो 

निश्चय करो, एक विचार बनाओ, मन में दृढ़ प्रतिज्ञ हो, फिर देखो जीत क्यों नहीं मिलेगी। एक निश्चय करने के बाद, रास्ते स्वयं निकलते हैं। कहते भी हैं जहाँ चाह, वहाँ राह। यह चाह ही तो महत्त्वपूर्ण है, आपने मन में ठान ली, तो फिर कोई भी मंजिल कठिन नहीं है। मुझे स्कूल में पढ़ी एक कविता की कुछ पंक्तियाँ याद आती हैं।

                          “है कौन विघ्न ऐसा जग में,

टिक सके आदमी के मग में।”

यदि आपने एक बार ज़िद कर ली, निश्चय कर लिया तो ऐसा कोई विघ्न नहीं है, जो आपके रास्ते में रुकावट बनकर आपको मंजिल तक पहुँचने से रोक सके। मंजिल जितनी ही दूर हो, आपका निश्चय उतना ही प्रबल होना चाहिए। याद रखें, सफलता के मार्ग में छोटी-मोटी परेशानियाँ/कठिनाइयाँ तो आती ही हैं। सफलता का मार्ग यदि बिना काँटों का हो, सरल हो, तो उस सफलता का मजा ही नहीं आता। संघर्ष ही तो पुरुषार्थ की पहचान कराता है। जीवन भी तो संघर्ष का ही नाम है।

हम अक्सर संघर्षों की तपती धरा से बचने के लिए, शीतलतायुक्त सरल मार्ग की तलाश में, मंजिल से च्युत होकर भटकने लगते हैं। आपकी मंजिल जितनी ऊँची होगी, आपकी महत्त्वाकांक्षा जितनी बड़ी होगी, आपका लक्ष्य जितना उत्कर्ष होगा, आपको उतना ही अधिक संघर्ष करना होगा। निश्चय उतना ही दृढ़ होना चाहिए। आपकी ज़िद उतनी ही पक्की होनी चाहिए। ज़िद के पक्के व्यक्ति के समक्ष हर चुनौती बौनी हो जाती है। जो व्यक्ति संघर्ष करने से नहीं कतराता है, जो परेशानियों से निरन्तर जूझने की क्षमता और कुव्वत रखता है, वही अन्ततः सफल होता है।

जिद को पूरी करने हेतु तैयारी करें 

आपने ज़िद की है तो उस ज़िद को पूरा करने हेतु तैयार हो जाएँ। मात्र ज़िद करने से जीत नहीं मिलती है। जिद करना, एक संकल्प करना है, जिसे पूरा करने हेतु व्यक्ति को बहुत धैर्य से तैयारी करनी होती है। वर्तमान प्रतिस्पर्धा के युग में जीतने के लिए न केवल स्वयं की योग्यता, काबिलियत व ज्ञान में वृद्धि करने की आवश्यकता है, बल्कि अपनी कमजोरियों के आकलन की भी आवश्यकता है। हर व्यक्ति जीतना चाहता है। हर व्यक्ति दूसरे से आगे बढ़ने हेतु प्रयत्नशील है। जीतेगा कौन? जीतेगा वही, जो सबसे श्रेष्ठ होगा। अतः जीतना है, तो स्वयं को सर्वश्रेष्ठ बनाने हेतु यत्न करो। जो सर्वश्रेष्ठ है, जिसमें जीतने की अधिक भूख है, जिसमें टॉप पर पहुँचने की अदम्य ललक है, वही इस युग में अपनी जीत दर्ज कर सकेगा। मात्र ज़िद करने से जीत सुनिश्चित नहीं हो जाती है। 

                          “Dreaming in necessary for a winner, but

executing the dreams to reality is must to win.

विजेता के लिए सपने देखना आवश्यक है, लेकिन

सपनों को हकीकत में बदलना जीत के लिए परम आवश्यक है।”

हर व्यक्ति सपने देखता है। हर व्यक्ति चाहता है कि वह सबसे ऊँची चोटी पर पहुँचे। हर व्यक्ति की ख्वाहिश होती है कि वह अन्य सभी से श्रेष्ठ बने, लेकिन, क्या हर व्यक्ति ऐसा कर पाता है? 

ध्यान रखें, जीत की राह में अड़चनें ही अड़चनें हैं। जीत की डगर बहुत कठिन है। कई बार ‘हार’ भी झेलनी पड़ती है, लेकिन जिसने भी इस ‘हार’ को अपना ‘जीत’ के लिए, एक सबक के रूप में लिया, जिसने भी ‘हार’ को प्रेम से गले  लगाया, लेकिन स्वयं के संकल्प पर हावी नहीं होने दिया, अन्ततः ‘जीत तो उसी की होगी।

अत: जीत की राह में आने वाली रुकावटों से घबराएँ नहीं, उनका सकारात्मक दृष्टिकोण से मुकाबला करें, बाधाओं एवं रुकावटों को दूर करें, लगातार बढ़ते रहने के संकल्प को दोहराते रहें, अपने आत्मविश्वास को टूटने न दें। इस बात को याद रखें कि आपको दिखाई देने वाला आज का हर विजेता, सफल व्यक्ति न जाने कितनी ही बार हारा है, लेकिन चूंकि वह हर बार दोगुने, तिगुने उत्साह से पुन: अपने कर्म में लगा रहा है, इसलिए आज विजेता बन सका है।

अतः तैयार करें स्वयं को अपनी ज़िद, अपना संकल्प पूरा करने हेतु।

विशेष :-

“No Pain, No Gain!

बिना परेशान हुए, लाभ नहीं मिलता।”

अतः संघर्षों से डरना कैसा? संघर्षों को जीवन का हिस्सा मानकर, सफलता के पथ पर पूर्ण आत्मविश्वास के साथ, पूर्ण दृढ़ता के साथ अग्रसर होएँ, सफलता आपका विजेता की तरह स्वर्णिम फूलों की माला से स्वागत करेगी, अंगीकार करेगी।

                                      

                                      Athlete Chand Singh Rohilla 




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