सुख
सुख
मनुष्य की सारी इच्छाओं का सारांश निकाले कि उसका ध्यय क्या हैं तो एक ही शब्द सामने आता हैं । जिसे मनुष्य अपने जीवन मे पाना चाहता हैं " सुख " मनुष्य के सारे प्रयास इसी सुख को पाने हेतु होते हैं । जिसको पाने के लिए पूरी ज़िंदगी प्रयास करते हैं । मनुष्य ये नहीं जानता उसका सही स्वरूप क्या हैं। ओर इस रंग -बिरंगी विचित्र दुनिया मे सबके साथ तालमेल बैठाकर किस तर उस तक पहुंचा जा सकता हैं । यह बहुत ही गूढ विशम विषय हैं । इस पर कोई दूसरा आपको स्पष्ट मार्ग दे सके यह तो संभव नहीं हैं । स्वयं के ऊपर ही सब कुछ निर्भर करता हैं दूसरा केवल आपको अपने अनुभव बता सकता हैं । आपके सामने अपने विचार रख सकता हैं । जिसका उपयोग आप अपने विवेक से कर सकते है । अन्य जीवो के मुक़ाबले मनुष्य को एक विशेष उपलब्धि हासिल हैं । कि आपने विवेक पर नियंत्रण उसी के साथ मे हैं । अन्य किसी के पास ये ताकत नहीं कि अपने मन से वह बात स्वीकार करवा सके जो आपका विवेक नहीं चाहता हो
विशेष :-
कार्य का प्रथम 10 प्रतिशत 90 प्रतिशत समय लेता हैं शेष 90 प्रतिशत कार्य केवल 10 प्रतिशत समय लेता हैं ।
मनुष्य की सारी इच्छाओं का सारांश निकाले कि उसका ध्यय क्या हैं तो एक ही शब्द सामने आता हैं । जिसे मनुष्य अपने जीवन मे पाना चाहता हैं " सुख " मनुष्य के सारे प्रयास इसी सुख को पाने हेतु होते हैं । जिसको पाने के लिए पूरी ज़िंदगी प्रयास करते हैं । मनुष्य ये नहीं जानता उसका सही स्वरूप क्या हैं। ओर इस रंग -बिरंगी विचित्र दुनिया मे सबके साथ तालमेल बैठाकर किस तर उस तक पहुंचा जा सकता हैं । यह बहुत ही गूढ विशम विषय हैं । इस पर कोई दूसरा आपको स्पष्ट मार्ग दे सके यह तो संभव नहीं हैं । स्वयं के ऊपर ही सब कुछ निर्भर करता हैं दूसरा केवल आपको अपने अनुभव बता सकता हैं । आपके सामने अपने विचार रख सकता हैं । जिसका उपयोग आप अपने विवेक से कर सकते है । अन्य जीवो के मुक़ाबले मनुष्य को एक विशेष उपलब्धि हासिल हैं । कि आपने विवेक पर नियंत्रण उसी के साथ मे हैं । अन्य किसी के पास ये ताकत नहीं कि अपने मन से वह बात स्वीकार करवा सके जो आपका विवेक नहीं चाहता हो
विशेष :-
कार्य का प्रथम 10 प्रतिशत 90 प्रतिशत समय लेता हैं शेष 90 प्रतिशत कार्य केवल 10 प्रतिशत समय लेता हैं ।
Athlete Chand Singh Rohilla
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