भाग्य
भाग्य
इस दुनिया के किसी भी असफल आदमी से आप पूछ लें कि वह असफल क्यों हुआ तो वह यही कहेगा, सफलता पाने के लिए किश्मत या भाग्य का होना जरूरी है। मेरी किश्मत में नहीं लिखा था इसलिए मैं सफल नहीं हो पाया, या मैं वो चीजें हासिल नहीं कर पाया। इस दुनिया में भाग्य नाम की कोई चीज है भी या नहीं! इस विवादपूर्ण सवाल में मैं नहीं फंसना चाहता लेकिन जो व्यक्ति सही दिशा में कड़ी मेहनत कर रहा है, वह आज नहीं तो कल जरूर सफल होगा। यह सिर्फ और सिर्फ उसी के ऊपर निर्भर करता है कि वह सफल होना चाहता है या हारकर बैठना। भाग्यवादी नजरिये के लोग अपनी सफलता और असफलता दोनों के लिए भाग्य या अपनी किश्मत को ही क्रेडिट देते हैं। उनके मन में ऐसा बैठ चुका होता है कि वे चाहे लाख कोशिश क्यों न कर लें, उनके साथ वही होगा जो उनकी किश्मत में लिखा होगा। इसलिए ऐसी सोच वाले लोग कभी भी कोशिश नहीं करते, और जल्दी हार मानकर बैठ जाते हैं। उनकी सोच होती है कि उन्हें कुछ नहीं करना, जो होगा देखा जाएगा… वो हमेशा किसी चीज के घटित होने का वेट करते हैं और बाद में निराश होकर दूसरों को उपदेश देते हैं।
दोस्तों, अगर आप असफल होना चाहते हैं तो बेशक अपने भाग्य पर विश्वास कीजिए और अगर आप सचमुच सफल होना चाहते हैं खुद पर यकीन रखिये, विश्वास कीजिये और अपनी किश्मत खुद लिखिए। आप ईमानदारी से जितनी कड़ी मेहनत करते जाते हैं, भाग्य को आप अपनी तरफ खींच रहे होते हैं। इसलिए कभी भी आधे-अधूरे मन से कोई भी काम मत कीजिये, क्योंकि जब आप ऐसा करते हैं तब आप नाकामी को अपनी ओर आकर्षित कर रहे होते हैं। जब आप अपनी ज़िम्मेदारी कबूल करने लगते हैं तब आप भाग्य या किश्मत पर यकीन नहीं करते।
एक व्यक्ति दिन-रात मेहनत करता है, वह अपने सुख-चैन त्याग देता है, अपनी मौज-मस्ती छोड़ देता है, सारा दिन नई चीजें सीखने में लगा रहता है, वह अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ता जाता है, तब तक नहीं रुकता जब तक वह सफल नहीं हो जाता, पूरा फोकस अपने काम में डालकर पूरे जोश के साथ आगे बढ़ता है और सफल होकर ही दम लेता है। लेकिन जब उसे सफलता के शिखर पर पहुँचे अन्य लोग देखते हैं तब उसे सभी लोग भाग्यशाली कहते हैं। लेकिन उसकी कड़ी मेहनत और संघर्ष को कोई नहीं देखता। दुसरे लोग भले ही आपको हमेशा आपको भाग्यशाली कहेंगे लेकिन आपका लक्ष्य किसी भाग्य के सहारे पूरा नहीं होगा… आपको खुद ही अपनी मंजिल की तरफ कदम बढ़ाना होगा.. तभी आप एक सफल व्यक्ति बन सकते हैं।
कुछ लोग खुद को बहुत बदकिश्मत या बदनसीब कहते हैं और वे इस बात को मानते भी हैं कि वे बदनसीब हैं। अपने बारे में खुद से ऐसी बातें करने से ही आपके अन्दर भाग्यवादी नजरिया पैदा होता है और आप अपनी मेहनत को कम और भाग्य को ज्यादा महत्व देते हैं । ऐसी सोच हमारी असफलताओं को जन्म देने का काम करती है, और यह आपके आत्मविश्वास को कमजोर बनाता है।
धूम 3 में आमिर ने कुछ पंक्तियों से बहुत बेहतरीन बातें कही थीं, शायद आपको याद होगा। उसे मैं यहाँ दोहराने वाला हूँ :
बन्दे हैं हम उसके, हमपे किसका जोर
उम्मीदों के सूरज निकले चारों ओर
इरादे हैं फौलादी, हिम्मती हर कदम
अपने हाथों किस्मत लिखने आज चले हैं हम
मांझी द माउंटेन मैन मूवी की वो बातें आपको याद ही होंगी उसे मैं यहाँ अपने तरीके से आपके सामने लिख रहा हूँ
भाग्य, किश्मत या भगवान के भरोसे कभी मत बैठिये, क्या पता ये सारे हमारे भरोसे बैठे हों।
हम जो बोते हैं वो काटते हैं. हम स्वयं अपने भाग्य के विधाता हैं. हवा बह रही है, वो जहाज जिनके पाल खुले हैं, इससे टकराते हैं, और अपनी दिशा में आगे बढ़ते हैं, पर जिनके पाल बंधे हैं हवा को नहीं पकड़ पाते. क्या यह हवा की गलती है ?…..हम खुद अपना भाग्य बनाते हैं.
-स्वामी विवेकानन्द
नोट :-
भाग्य? मैं भाग्य के बारे में कुछ नहीं जातना। मैंने इस पर कभी भरोसा नहीं किया, और जो लोग इस पर ऐतबार करते हैं, मुझे उनसे डर लगता है। मेरे लिए भाग्य का मतलब है, कड़ी मेहनत, और अवसर की पहचान।
Athlete Chand Singh Rohilla
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